पर्यावरण के लिए खतरा पोलीथिन
आधुनिकता की अंधी दौड़ में आज आदमी थैला लेकर बाज़ार से सामान लाना अपनी प्रतिष्ठा के विरूद्ध समझने लगा है। परिणामस्वरूप पॉलीथीन के थैले-थैलियों का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। हर वस्तु की पैकिंग अब पॉलीथीन में होने लगी है और यह अब जीवन का अनिवार्य अंग बन चुका है। किंतु पॉलीथीन का प्रयोग हमारे पर्यावरण के लिए अति घातक सिद्ध हो रहा है। इसकी उपयोगिता के कारण इसके दुष्परिणामों को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।पॉलीथीन बैग से निर्माण से इसके नष्ट होने तक का सफर पर्यावरण को किसी न किसी रूप में प्रदूषित करता है। इनको बनाते समय प्लास्टिक जलने से बदबू उठती है जिससे वायु प्रदूषण फैलता है। जब इसका प्रयोग करने के बाद फेंक दिया जाता है तब भी ये प्रदूषण का मुख्य कारण बनते हैं। कूड़े के ढेर में फेंके गए पॉलीथीन हवा से उडक़र नालियों तक पहुँच जाते हैं और उन्हें अवरूद्ध कर देते हैं। जिससे गंदा पानी सडक़ों पर बहने लगता है और पर्यावरण को प्रदूषित करता है। इसी प्रकार जब पॉलीथीन सीवरेज में चले जाते हैं तो शहर भर की सिवरेज व्यवस्था को में रुकावट पैदा कर देते हैं। नालियों और सिवरेज में सर्वाधिक रुकावट पॉलीथीन से ही होती है।
सडक़ों और गलियों में उड़ते और नालियों में बहते पॉलीथीन जल स्त्रोतों तक पहुँच कर जल प्रदूषण का कारण भी बन रहे हैं। नदी, नालों, जोहड़ों और तालाबों में अकसर पॉलीथीन बैग तैरते देखे जा सकते हैं।
विशेषज्ञों का मत है कि पॉलीथीन में खाद्य सामग्री डाली जाए तो वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारण है और घातक बीमारियों का कारण बन सकती है। इसके दुष्प्रभावों के परिणामस्वरूप कुछ राज्य सरकारों में इसके निर्माणए उपयोग और भंडारण पर पाबंदी लगाई हुई है। मगर जनसहयोग के अभाव में यह केवल कागजों तक ही सीमित होकर रह गई है।
महानगरों और शहरों में ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी पॉलीथीन का प्रयोग बड़े पैमाने पर होने लगा है। गाँवों में किसान अपने घर का कूड़ा करकट खाद के रूप में खेतों में डालते हैं और अब पॉलीथीन भी खाद के साथ खेतों में पहुँच रहे हैं जो किसानों के लिए अभिशाप साबित हो रहे हैं। पॉलीथीन को गलकर नष्ट होने में वर्षों लगते हैं। जिससे इनकी संख्या खेतों में लगातार बढ़ रही है। बिजाई करते समय इनके नीचे जो बीज चले जाते हैं वे या तो उगते ही नहीं है और अगर उग भी जाएँ तो पॉलीथीन से बाहर नहीं आ पाते। इसी प्रकार यदि कोई बीज इनके ऊपर गिर जाता है तो वह भी नष्ट हो जाता है क्योंकि उसकी जड़े पॉलीथीन को पार करके भूमि में नहीं जा पाती। इसके कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
यदि हम अपनी सुविधा को पर्यावरण संरक्षण से अधिक महत्त्व देते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब चारों ओर पॉलीथीन का कचरा ही कचरा नजर आएगा। भूमि, जल और वायु सब प्रदूषित हो जाएँगे और हम स्वच्छ हवा और पानी के लिए तरस जाएँगे। इसलिए यह जरूरी है कि सरकार, समाज और व्यक्ति हर स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के प्रयास किए जाएँ। सरकार को पॉलीथीन पर पूर्ण पाबंदी लगा देनी चाहिए और उसे सख्ती से लागू करना चाहिए। समाज यह सुनिश्चित करे कि सरकार द्वारा लगाया गया प्रतिबंध प्रभावी हो। प्रत्येक नागरिक भी अपना उत्तरदायित्व समझकर स्वेच्छा से पॉलीथीन का प्रयोग न करने का संकल्प ले ताकि हमारा पर्यावरण स्वच्छ रहे।