मानव जीवन में वनस्पतियों का महत्त्व/ जीवन के लिए वनस्पतियों का महत्त्व
वनस्पतियाँ भू-मंडल पर मानव जाति के अस्तित्व का आधार हैं| यदि पेड़-पौधे न हों तो मनुष्य क्या अन्य जंतु भी इस पृथ्वी पर न रहें| श्वास लेने के लिए भी हम प्रकृति प्रदत्त पेड़-पौधों पर ही निर्भर करते हैं| वनस्पतियाँ हमें भोजन,वस्त्र, औषधि सभी कुछ प्रदान करती हैं| अपने आवास के लिए भी हम बहुत कुछ वृक्षों पर निर्भर करते हैं|
भारत में आदि काल से ही मनुष्य प्रकृति की इस देन पर निर्भर रहा है| ऋगवेद एवं अथर्ववेद में वनस्पति विज्ञान के महत्त्व का वर्णन किया गया है| अथर्ववेद में औषधियों के गुणों को प्रदर्शित करने वाले कुछ सूक्त मिलते हैं| अत्रेय ऋषि के शिष्य अग्निवेश ने सर्वप्रथम आयुर्वेद पर ग्रन्थ लिखा| अत्रि ऋषि के ही पांच अन्य शिष्यों के साथ मिलकर अग्निवेश ने "षड्भिषज संहिता" ग्रन्थ लिखा| बाद में चरक, वाग्भट 'भावप्रकाश' 'निघुट' आदि ग्रंथों की हुई|
आयुर्वेद की "रस वेधक" और जर्मन शोधक हान्मन द्वारा प्रतिपादित होमियोपैथी में भी वनस्पतियों की उपयोगित का भरपूर लाभ उठाया गया है|
यह भी सर्वमान्य तथ्य है कि किसी भी देश के आर्थिक विकास में उस देश की प्राकृतिक संपदा का बहुत अधिक योगदान होता है|
इतना ही नहीं हमारे पर्यावरण को सुखद बनाने के लिए] मानव जाति के लिए भोजन, वस्त्र, औषधि, इंधन देने के लिए, भवन निर्माण के लिए, प्रौधोगिक विकास के लिए और जीवित रहने के लिए 'श्वासोच्छ्वास प्रक्रिया के लिए अद्वितीय योगदान वनस्पतियाँ करती हैं|