ग्लोबल वार्मिंग अर्थात वैश्विक तापन-
पृथ्वी के तापमान का औसत से अधिक होना ग्लोबल वार्मिंग कहलाता है|
ग्लोबल वार्मिंग एक सामान्य प्रक्रिया है जो पृथ्वी के औसत तापमान 18 डिग्री सै. बनाये रखने के लिए जरुरी है| मगर इसके बढ़ जाने से कई प्रकार के खतरे हैं|
सूर्य से आने वाली किरणों का कुछ भाग परावर्तित हो जाता है और कुछ भाग बादलों और हवा में मौजूद गैसों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है| वहीँ सूर्य की अधिकतर किरणें धरती की सतह तक पहुँचती है और धरती का तापमान बढाती हैं| ये किरणें धरती की सतह से परावर्तित होने के बाद ग्रीन हाउस गैसों जैसे मीथेन, कार्बन-डाइऑक्साइड और क्लोरो फ्लोरो कार्बन द्वारा अवशोषित की जाती हैं और इन्हें वापस वातावरण में भेजा जाता है| यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो पृथ्वी का औसत तापमान 18 डिग्री सै. बनाये रखने के लिए जरुरी है|
मगर हाल के कुछ वर्षों में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा वातावरण में बढ़ने से पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि हुई है| तापमान की यह वृद्धि बड़ी तेजी से हो रही है और इसका सीधा असर जलवायु परिवर्तन के रूप में दिख रहा है| पिछले दो दशकों में ही पृथ्वी का औसत तापमान 6 डिग्री सै. तक बढ़ चुका है|
कारण-
ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण वाहनों और उद्योगों द्वारा किया जाने वाला गैसीय उत्सर्जन है|
जंगलों का घटता क्षेत्र और आबादी का बढ़ता दबाव भी ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख कारणों में है|
क्लोरो-फ्लोरो कार्बन का उत्सर्जन करने वाले यंत्रों और उत्पादों का बढ़ता उपयोग भी ग्लोबल वार्मिंग के लिए उत्तरदायी है|
दुष्प्रभाव-
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं| जिसके कारण नदियों और समुद्रों में जल की मात्र बढ़ रही है| परिणाम स्वरूप तटीय इलाकों के आने वाले वर्षों में समुद्र में समा जाने का खतरा बढ़ रहा है|
ग्लोबल वार्मिंग के चलते ओजोन परत में विशाल छेद हो चुका है|
ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु में बदलाव आ रहा है| प्राकृतिक ऋतु चक्र प्रभावित हो रहा है|
रोकथाम के उपाय-
ग्लोबल वार्मिंग विश्वस्तरीय समस्या है| इसका कोई अकेला व्यक्ति या देश समाधान नहीं कर सकता | किन्तु इसकी रोकथाम में हम सब की भूमिका महत्त्वपूर्ण है| कुछ उपाय जिन्हें करके हम ग्लोबल वार्मिंग की रोकथाम में सहयोग कर सकते हैं-
1. अधिक से अधिक पौधारोपण किया जाए|
2. क्लोरो-फ्लोरो कार्बन का उत्सर्जन करने वाले यंत्रों और उत्पादों के प्रयोग को हतोत्साहित किया जाए|
3. कृषि अवशेषों को जलाने पर रोक लगाईं जाए|
4. सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूत बनाकर निजी वाहनों के प्रयोग को कम किया जाए|
5. घरेलू इंधन के रूप में लकड़ी, कोयला और गोबर के कंडे के स्थान पर एलपीजी गैस के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए|
6. उद्योगों में आधुनिक तकनीक वाली ऊँची चिमनियों का प्रयोग किया जाए|