वायु प्रदूषण (Air Pollution) निबंध
बढती आबादी और बढ़ते विलासिता के साधनों के परिणामस्वरूप आज हमारा पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित हो रहा है| जल और वायु दोनों जहरीले होते जा रहे हैं| वातावरण में जहरीली गैसों की मात्रा तेजी से बढ रही है| परिणामस्वरूप पृथ्वी का औसत तापमान भी बढ़ रहा| जिसे वश्विक तापन या ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं| ओजोन परत का क्षरण भी इसी का परिणाम है| वायु प्रदूषण के कारण बड़े पैमाने पर लोग मर रहे हैं| देश भर में एक साल में लगभग 52 हजार व्यक्ति वायु प्रदूषण के कारण मौत का शिकार होते हैं|
वायु प्रदूषण एक ऐसी स्थिति है जिसमें बाह्य वातावरण में मनुष्य और उसके पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाले तत्व सघन रूप से एकत्रित हो जाते हैं|
वायु प्रदूषण मुख्यत: कारखानों की चिमनियों से निकलने वाले धुंए, वाहनों, खाना पकाने के साधनों, वायुयानों, ताप ऊर्जा संयत्रों, आतिशबाजी, कीटनाशकों के छिडकाव तथा प्लास्टिक कचरे को जलाने आदि से होता है| वाहनों व कारखानों से मुख्यत: कार्बन मोनोऑक्साइड नामक जहरीली गैस निकलती है| वाहनों से हानिकारक सीसा धातु भी वातावरण में मिलती है| लकड़ी, गोबर के कंडे (उपले) और कोयला जलाने से कार्बन डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड आदि गैसें निकलती हैं| इनके अलावा बैंजोपायरिन नामक घातक रसायन भी निकलता है, जो कैंसर को जन्म देता है| सौन्दर्य प्रसाधनों के निर्माण तथा ए.सी. व फ्रिज से सी.एफ़.सी. गैस अर्थात क्लोरो-फ्लोरो कार्बन गैस निकलती है, जो ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती है|
एक शोध के अनुसार चूल्हे पर लकड़ी और कंडे (उपले) जलाकर भोजन पकाने वाली महिला तीन घंटे में 20 सिगरेट के बराबर प्रदूषण ग्रहण कर लेती है| मानसून के दौरान प्रदूषण की मात्रा 8 गुणा तक बढ़ जाती है|
औद्योगिक दुर्घटनाएं भी वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण हैं| वायु प्रदूषण फैलाने वाली विश्व इतिहास की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटना भारत में ही 2-3 दिसम्बर, 1984 की रात भोपाल (मध्यप्रदेश) स्थित बहुराष्ट्रीय कम्पनी यूनियन कार्बाइड के कारखानों में हुई| 40 टन MIC गैस रिसी, जिसने पूरे शहर पर कहर ढा दिया था| लगभग 2500 लोग मारे गए, लगभग 10 हजार गंभीर रूप से घायल हुए, लगभग 20 हजार अर्ध-विकलांग और 1.80 लाख प्रभावित हुए|
बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने 1982 में वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम लागू किया| उद्योगों के लिए पर्यावरण अनुमति और वाहनों के लिए प्रदुषण जांच को आवश्यक किया गया है, 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों का परिचालन रोका गया है| दिल्ली में सार्वजानिक परिवहन वाहनों को सी.एन.जी. से चलाया जा रहा है|
किन्तु बढती आबादी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक तरह वाहनों और उद्योगों की संख्या बढ़ रही है, वहीँ दूसरी ओर सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक प्रदूषण नियंत्रक माने जाने वाले पेड़ों का सफाया किया जा रहा है, जिसके कारन दिनों-दिन वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है| फसलों के अवशेष और प्लास्टिक कचरा जलाने का नया चलन शुरू हो जाने से समस्या और गंभीर हो रही है|
सरकार ने क़ानून तो बना दिए किन्तु भ्रष्टाचार के चलते उनका सही ढंग से पालन नहीं हो पा रहा है तो लोग भी अपने उत्तरदायित्व को नहीं समझ रहे हैं| वायु प्रदूषण रोकने के लिए खाना पकाने के लिए बायो गैस और एल.पी.जी. का प्रयोग हो ताकि वृक्ष बच सकें और लकड़ी जलने से होने वाला प्रदूषण भी रुक सके| प्लास्टिक कचरे और फसलों के अवशेष जलाने पर पूरी तरह पाबंदी लगे| उद्योगों को मानकों के अनुसार ही चलने दिया जाए| सौर ऊर्जा सहित सभी प्रकार के नवीकृत ऊर्जा स्त्रोतों को बढ़ावा दिया जाए तभी इस संकट से मुक्ति मिल सकेगी|